Design a site like this with WordPress.com
Get started

शिवत्व

शिव जी के विष पान के चर्चे
कण्ठ से ऊपर, कण्ठ से नीचे।
भली भांति शिवत्व को पहचानें
विष पान मर्म आओ जानें ।।

कण्ठ से ऊपर उगला जाए
ताण्डव कर कर पगला जाए।
कण्ठ से नीचे निगला जाए
बर्फ सरीखा पिघला जाए ।।

यह जीवन भी कुछ विष सा है
इसे ना पीने की लिप्सा है।
यदि इसका कोई विकल्प न हो
फिर क्या तुम में तितिक्षा है ???

तितिक्षा ही शिव का कण्ठ है
जो ना समझा वो लंठ है
जन कल्याण हेतु जो आहूत होता
शिव भक्त वही निशंक है ।।

प्रखर ‘प्रज्ञ’

Published by प्रखर

Engineer, Poet, Tablaist, Spiritual Healer. Visit my Blog for spiritual Poetry.

%d bloggers like this: