
समय समय की बात है ।
समय समय का जोर ।।
कभी मस्त पवन का झोका है ।
कभी कारी बदरी चहुंओर ।।
पलट रही हवा क्षण क्षण में ।
जैसे दिशाहीन व्यक्ति जीवन में ।।
नभ की ओर नज़र तू अटका ।
चलता जा अविचल , उसी ओर ।१।
राह पर मिलेंगे अच्छे बुरे प्रारब्ध ।
उन्हें देख ना होना स्तब्ध ।।
कदमों के जोर बढ़ा चढ़ा कर ।
कर देना गर्जना घनघोर ।२।
यदि पथ पर खोज पाओ धृति (धैर्य) ।
करना उससे घनिष्ठ मैत्री ।।
विवेक क्षीणता की स्थिति में ।
सहचर देगी साथ पुरजोर ।३।
यदि मिले पथ पर तुम्हे कीर्ति ।
ना बन जाना पूजा की मूर्ति ।।
निमित्त मात्र का किरदार भाँपना ।
वरना बन जाओगे शंख ढपोर ।४।
मस्तिष्क पटल पर बनती चलेंगी स्मृतियाँ ।
चह चहाएंगी मानो विचरण करती चिड़िया ।।
इन्हें हृदय के तल में सहेजना सीखो ।
अनंत तक रहोगे परम आनंद से सराबोर ।५।
समय … समय….. ……
©प्रखर