–प्रखर
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एक सफर
वो गुज़रता हुआ समस्या से,हल ढूँढता पूरी तपस्या से,भावी अनिश्चितता में जी रहा,चिंता चुनौतियों के कड़वे प्याले पी रहा ।। सिलसिला ये रुकने का नाम ले अगर,ठहर कर सोचने का काल हो मगर,सुलझ पाएगा कब चुनौतियों का फंदा ??जब समस्याओं को कतई ना बनाएँगे प्रमुख मुद्दा ।। कपाल पर आते हुए बोझ का क्या वेगContinue reading “एक सफर”