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अनिश्चितता का दौर

अनिश्चितता का दौर हैअंधेरा घनघोर हैविवशताओं की होड़ हैपग पग पर मोड़ है ।। चल रहा मैं रुक रुक कररखता कदम फूँक फूँक करतब भी धँस जाता हूँदल दल में फँस जाता हूँ संभावनाएँ कह रहीं“मैं आते आते रह गई”“जो तुमको बचा पाती”“अगर मगर में ढह गई” ।। अब प्रयास और प्रबल होगासुदृढ़ मनोबल होगादेखताContinue reading “अनिश्चितता का दौर”