नल के नीचे बूंद बूंद, यासागर में आँखें मूँद मूँद,सब दृष्टिकोण की क्रीड़ा हैजो ना समझे तो पीड़ा है ।। सूर्य स्वयँ हो या किरणेंभिन्न है दोनों क्या ? बोलो,दोनों में समरूप हैं गुणबन्द बुद्धि के पट खोलो ।। देह मात्र के स्वामी बन करपृथक कहाँ कुछ सूझेगा,आत्मरूप की कठिन पहेलीभला कहाँ से बूझेगा ।।Continue reading “सच्चिदानंदोहम्”