मैं कैद हूँ , मैं कैद हूँचार दिवारी में हीबस दो रोटी से हीओढ़े हूँ चदरी कोघनी काली बदरी को, देखप्रतिपल मुस्तैद हूँ ।।मैं कैद हूँ …… ये कैद तनिक है विचित्रनिज भवन इसका चरित्रबहिर्गमन जब तक निषेध,विषाणु को रहे खेद ।।इस वैश्विक महामारी मेंलक्ष्य मैं अभेद्य हूँमैं कैद हूँ ……. जो कैद ना हुआContinue reading “मैं कैद हूँ !!”