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सच्चिदानंदोहम्

नल के नीचे बूंद बूंद, यासागर में आँखें मूँद मूँद,सब दृष्टिकोण की क्रीड़ा हैजो ना समझे तो पीड़ा है ।। सूर्य स्वयँ हो या किरणेंभिन्न है दोनों क्या ? बोलो,दोनों में समरूप हैं गुणबन्द बुद्धि के पट खोलो ।। देह मात्र के स्वामी बन करपृथक कहाँ कुछ सूझेगा,आत्मरूप की कठिन पहेलीभला कहाँ से बूझेगा ।।Continue reading “सच्चिदानंदोहम्”

एक सफर

वो गुज़रता हुआ समस्या से,हल ढूँढता पूरी तपस्या से,भावी अनिश्चितता में जी रहा,चिंता चुनौतियों के कड़वे प्याले पी रहा ।। सिलसिला ये रुकने का नाम ले अगर,ठहर कर सोचने का काल हो मगर,सुलझ पाएगा कब चुनौतियों का फंदा ??जब समस्याओं को कतई ना बनाएँगे प्रमुख मुद्दा ।। कपाल पर आते हुए बोझ का क्या वेगContinue reading “एक सफर”

मैं कैद हूँ !!

मैं कैद हूँ , मैं कैद हूँचार दिवारी में हीबस दो रोटी से हीओढ़े हूँ चदरी कोघनी काली बदरी को, देखप्रतिपल मुस्तैद हूँ ।।मैं कैद हूँ …… ये कैद तनिक है विचित्रनिज भवन इसका चरित्रबहिर्गमन जब तक निषेध,विषाणु को रहे खेद ।।इस वैश्विक महामारी मेंलक्ष्य मैं अभेद्य हूँमैं कैद हूँ ……. जो कैद ना हुआContinue reading “मैं कैद हूँ !!”